Life Lesson Stories
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करूणा अपना सारा दुःख भूल कर काम में व्यस्त हो जाती है। धीरे धीरे वह उस हॉस्पिटल का पूरा संचालन अपने हाथ में ले लेती है।
करूणा को पूरे दिन एक मिनट की भी फुर्सत नहीं मिलती थी। फिर भी वह समय निकाल कर एक बार हॉस्पिटल के सभी मरीजों से उनकी सेहत के बारे में पूछने जाती थी। उनका बहुत अच्छे से ध्यान रखती है। इस सेवा भाव की मरीज और उनके परीजन बहुत सराहना करते थे।
कभी कभी तो करूणा घर न आकर हॉस्पिटल में ही रात को रुक कर काम निबटाती रहती थी। शोभा उसे फोन पर डाटती थी – ‘‘सबकी सेवा करते करते खुद बीमार पड़ जायेगी। खुद भी थोड़ा आराम कर लिया कर।’’
लेकिन करूणा यह कहकर टाल देती थी – ‘‘बहन ऐसा मौका किस्मत से मिलता है। जिस दर्द से मैं निकल कर आ रही हूं। इनके दर्द के आगे वह कुछ भी नहीं है। इनकी सेवा करके मुझे बहुत खुशी मिलती है।’’
शोभा भी बहुत खुश थी। जैसे जैसे उसका समय नजदीक आ रहा था। शोभा घर पर ही रहने लगी थी।
करूणा सुबह उठ कर सबका नाश्ता खाना बना कर। हॉस्पिटल चली जाती थी। अब उसने हॉस्पिटल की एक नर्स की ड्यूटी घर पर लगा दी थी, जो कि शोभा का ध्यान रखती थी।
करन और करूणा दोंनो साथ में लंच करते थे। करूणा करन के खाने पीने का भी पूरा ध्यान रखती थी। जिस परिवार ने उसे सहारा देकर यहां तक पहुंचाया उस का एहसान वह उनकी सेवा करके पूरा करना चाहती थी।
हॉस्पिटल से हर महीने उसे सैलरी मिलती थी। करूणा ने कई बार कोशिश की कि वह घर खर्च में कुछ पैसे दे लेकिन शोभा गुस्सा हो जाती थी। वह उसे उन पैसों को बैंक से निकालने के लिये मना करती थी। जहां तक कि उसने बैंक में लॉकर लेकर करूणा के जेवर भी उसमें रखवा दिये थे।
करूणा की जिन्दगी का मकसद अब सिर्फ मरीजों की सेवा करना रह गया था।
एक दिन करूणा हॉस्पिटल में रजिस्टर चैक कर रही थी। तभी उसने देखा कि पिछले महीने से हमारे हॉस्पिटल में खर्च ज्यादा हो रहा है।
वह हॉस्पिटल के अकाउंट सेक्शन में गई वहां का सारा काम सुबोध देखता था। वह एक एकाउंटेंट था और पहले ही दिन से हॉस्पिटल में काम कर रहा था।
करूणा उससे पूछती है तो वह बताता है – ‘‘करूणा जी मैंने कई बार करन सर को बताने की कोशिश की है कि हमारे हास्पिटल में जितने मरीज हैं उसके हिसाब से दवाईयों और बाकी सामान बहुत ज्यादा मंगाया जा रहा है और वह कहां जा रहा है पता नहीं लग पा रहा।’’
करूणा ने कहा – ‘‘इसका मतलब कोई इस समान को बेच रहा है। सुबोध जी आपको मेरा साथ देना होगा मैं उसे रंगे हाथों पकड़ना चाहती हूं।’’
सुबोध मान गया उसने कहा – ‘‘मेडम इस हॉस्पिटल को मैंने अपने सामने बनते देखा है। मैं शुरू से इसमें काम कर रहा हूं लेकिन अभी शोभा जी के जाने के बाद जो नई डॉक्टर मिस अंजली आई हैं वे ये सारे ऑडर पास करती हैं। मुझे उन्हीं पर शक है। आधा माल यहां आता है और आधे का सिर्फ बिल बनता है।’’
करूणा ने पूछा – ‘‘आप सही कह रहे हैं?’’
सुबोध बोला – ‘‘मैं ठीक तो कह रहा हूं लेकिन उन्हें पकड़ेंगे कैसे? माल तो यहां आता ही नहीं है।’’
अगले दिन करूणा डॉ अंजली से सीधे पूछ लेती है – ‘‘अंजली जी ये जो स्टॉक आप मंगवाती हैं। उसमें से आधा कहां जाता है।’’
यह सुनकर एक बार अंजली घबरा जाती है। लेकिन किसी तरह अपने को संभालते हुए कहती है – ‘‘पूरा यहीं आता है और इस्तेमाल होता है। आप मुझ पर चोरी का इल्जाम लगा रही हैं।’’
वह गुस्सा करते हुए करन के केबिन में पहुंच जाती है – ‘‘देखिये सर ये मेरे उपर चोरी का इल्जाम लगा रही हैं।’’
करन के पूछने पर करूणा सुबोध से मिली जानकारी उसे बताने लगी। करन ने सुबोध को बुला कर सारी बात पता की। लेकिन फिर भी अंजली के खिलाफ कोई सबूत न मिल सका।
अंजली बार बार सुबोध पर ही इल्जाम लगा कर रोती जा रही थी। उसकी बातों को सुनकर करन ने सुबोध को नौकरी से निकाल दिया। करूणा ने करन को समझाने की बहुत कोशिश की लेकिन उसने एक न सुनी।
इस बात से करूणा बहुत दुःखी हो गई। उसने बाहर जाकर सुबोध से बात की – ‘‘सुबोध जी मुझे माफ कर दीजिये मुझे पहले सबूत ढूंढ कर इल्जाम लगाना चाहिये था। मेरे कारण आपकी नौकरी चली गई।’’
सुबोध बोला – ‘‘अरे आप क्यों परेशान हो रही हैं मुझे तो कहीं भी काम मिल जायेगा। रही बात इस नौकरी की तो ये सब उस अंजली की चाल है। करन सर से मुझे ये उम्मीद नहीं थी। आप बिल्कुल चिन्ता न करें।’’
सुबोध चला गया। करूणा को ये सब अच्छा नहीं लग रहा था। लेकिन वह कर भी क्या सकती थी। हॉस्पिटल का मालिक करन था। आखिरी फैसला तो उसकी का माना जायेगा।
लेकिन इस सबसे करूणा के मन में करन को लेकर एक दीवार सी खिच गई थी। वह सुबोध की नौकरी खोने की वजह अपने आप को मान रही थी।
करूणा समय समय पर सुबोध को फोन कर नौकरी के बारे में पूछती रहती थी। अगले दो महीने तक सुबोध को नौकरी नहीं मिली। वह वापस अपने गांव जाने की सोच रहा था। करूणा उसका हौंसला बढ़ाती रहती थी।
तभी एक दिन सुबोध का फोन आया कि उसे एक बड़े हॉस्पिटल में एकाउंटेंट की नौकरी मिल गई है। सैलरी भी अच्छी है।
यह सुनकर करूणा बहुत खुश हुई। उसके मन से अपराध बोध कुछ कम हो गया था।
शेष आगे …
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